इतिहास के एक अहम कालखंड से गुजर रही है
भारतीय राजनीति। ऐसे कालखंड से, जब हम कई सामान्य राजनेताओं को स्टेट्समैन
बनते हुए देखेंगे। ऐसे कालखंड में जब कई स्वनामधन्य
महाभाग स्वयं को धूल-धूसरित अवस्था में इतिहास के कूड़ेदान में पड़ा पाएंगे। भारत की शक्ल-सूरत, छवि, ताकत, दर्जे और भविष्य को तय करने वाला वर्तमान है यह। माना कि राजनीति पर लिखना काजर की कोठरी में घुसने के समान है, लेकिन चुप्पी तो उससे भी ज्यादा खतरनाक है। बोलोगे नहीं तो बात कैसे बनेगी बंधु, क्योंकि दिल्ली तो वैसे ही ऊंचा सुनती है।
बालेन्दु शर्मा दाधीचःनई दिल्ली से
संचालित
लोकप्रिय हिंदी वेब पोर्टल प्रभासाक्षी.कॉम
के समूह संपादक। नए मीडिया में खास दिलचस्पी। हिंदी और सूचना
प्रौद्योगिकी को करीब लाने के प्रयासों में भी थोड़ी सी भूमिका।
संयुक्त राष्ट्र खाद्य व कृषि संगठन से पुरस्कृत।
अक्षरम आईटी अवार्ड और हिंदी अकादमी का 'ज्ञान प्रौद्योगिकी पुरस्कार' प्राप्त। माइक्रोसॉफ्ट एमवीपी एलुमिनी।